चोटी की पकड़–120

सेक्रेटरी मुस्कराकर दबे-पांव एजाज के पास गए। एजाज मेज पर थीं, खत-किताबत कर रही थीं। 


सेक्रेटरी को देखकर मुखातिब हुई। सेक्रेटरी 'तीन और तीन' के साथ आए आदमी का परिचय भी दिया।

एजाज ने कहा, "आप अपने नोटबुक में दर्ज कर लीजिए कुछ मेरा भी हिसाब है। 

यहाँ के सुबूत जहाँ तक हैं, लिए रहिए। वकील की मार्फत भेजिएगा। कुर्सी डलवा दीजिए।" 

सेक्रेटरी गए। एजाज ने नसीम को अपने पाजामे-दुपट्टे से भेजा। कामदार जूतियाँ। सिखला दिया। यों नसीम भी भेद लेना जानती थी।

नीचे सेक्रेटरी की बग़लवाले कमरे में कुर्सियाँ डाली गईं। वह आकर बैठी। यूसुफ से चलने के लिए कहा गया। वे गए।

 नसीम ने उठकर सलाम किया। फूलदानी की बगल से, कुर्सी पर बैठने के लिए हाथ बढ़ाया। यूसुफ ने बैठे देखा यह वही हैं। पूछा "मिजाज अच्छा?"

"जी, हाँ।"

"हमको पूरी जानकारी चाहिए।"

"हम अपना भी हिसाब रखेंगे।"

"इससे सरकार की तरफ से बहुत फायदा न होगा। क्योंकि खैरख्वाही की सिफारिश पहले हमारी ली जाएगी।

 यह एक तरह की कमजोरी है और इससे सरकार के कान खड़े होते हैं। आपकी तबियत, जैसा आप चाहें, करें।"

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